निजी हाथों में नहीं जाने देंगे स्टेडियम : सुरेंद्र नागर
नोएडा। खेलरत्न, सं, Time, 7:00 PM.
फिट इंडिया की बात कहनेवाले स्टेडियम को निजी हाथों में देने की तैयारी की है। लेकिन जनता के हितों के लिए ऐसा नहीं होने देंगे। अगर प्राधिकरण स्टेडियम का संचालन निजी एजेंसियों को सौंपता है तो आंदोलन करेंगे। यह बातें राज्यसभा सांसद और जिला ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र नागर ने शानिवार को कही। उन्होंने सेक्टर 29 स्थित प्रेस क्लब में खेल संघों के समर्थन में प्राधिकरण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि स्टेडियम आम लोगों के लिए है, जहां सभी को सहूलियत मिलनी चाहिए।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र नागर ने कहा कि जो लाल किला जैसे धरोहर को निजी हाथों में सौंप सकते है उनके लिए स्टेडियम काफी छोटी चीज है, लेकिन स्टेडियम को संवारने में सभी सरकारों ने काम किया है। यहां से कई खिलाड़ियों ने खेल की बारीकियां सीख कर शहर का नाम रोशन किया है। उस समय यहीं के खेल संघ और प्रशिक्षक थे। कोई भी निजी कंपनी नहीं थी। मैं प्राधिकरण से पूछना चाहता हूं कि आखिर स्टेडियम को निजी हाथों में देने की क्या जरूरत पड़ी। इसका कोई जवाब नहीं है इनके पास।स्टेडियम का निजीकरण करने में प्रदेश सरकार का भी पूरा हाथ है। प्रेसवार्ता में सुशील राजपूत, विवेक आनंद, यूके भारद्वाज, वाज़िद अली, अमित खेमका, सुरेश देशवाल, आज़ाद सिंह, सहित कई लोग मौजूद रहे।
20 हजार लोगों के बेहतर सेहत का स्टेडियम देता है
सुरेंद्र नागर ने कहा कि प्रतिदिन यहां 20 हजार लोग टहलने आते हैं। उनकी बेहतर सेहत के लिए भी स्टेडियम जरूरी है। अगर स्टेडियम निजी हाथों में चली गई तो निशुल्क प्रवेश वर्जित हो जाएगा। इसका सीधा प्रभाव इनलोगो पर पड़ेगा। फिट इंडिया की बात कहनेवाले खुद लोगों की सेहत का ध्यान नहीं रहे। ये कैसा फिट इंडिया है। इनसे पूछना चाहिए।
प्राधिकरण चेयरमैन से मिलेंगे
सुरेंद्र नागर ने कहा कि इस मसले पर मिलने के लिए प्राधिकरण चेयरमैन को पत्र लिखा गया है। अगर वह मुझे नहीं बुलाते तो हम प्रदर्शन करेंगे। अड़ियल रवैया ज्यादा दिन तक नहीं चलनेवाला जनता सबक सिखएगी।
- नोएडा स्टेडियम
कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
मशहूर वकील अमित खेमका ने कहा कि इसके बाद भी अगर प्राधिकरण निजी किसी एजेंसी को स्टेडियम सौंपता है तो कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे। जहां दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
प्राधिकरण से ये सवाल किए
-नोएडा स्टेडियम सार्वजनिक है और ट्रस्ट चलता है ऐसे में इसका निजीकरण कैसे हो सकता है।
-प्रतिदिन यहां आनेवाले लोग कहाँ टहलने जाएं।
-गरीब खिलाड़ियों का क्या होगा, फीस बढ़ोतरी का जिम्मेदार कौन होगा।
– आम जनता का प्रवेश रोकना अलोकतांत्रिक है
-स्टेडियम में 500-1000 रुपये तक फीस होनी चाहिए। ताकि सभी वर्ग के लोग खेल सके।
-पहले के अनुसार ही स्टेडियम में खेल संघों की भागीदारी तय हो।